मणिपुर के कोरेंगेई में एक बहुत पुराना स्कूल है मारिया मांटेसरी स्कूल। करीब 70 दिनों की हिंसा के बाद जब स्कूलों के खोलने के आदेश हुए थे, तो इस स्कूल के शिक्षकों को उम्मीद थी कि शायद बच्चे पढ़ने आना शुरू करेंगे। लेकिन इस स्कूल के शिक्षकों के लिए स्कूल खुलना एक बहुत बड़े सदमे की तरह था। क्योंकि स्कूल खुलने के साथ ही यहां पर बच्चे तो नहीं आए, बल्कि बच्चों के परिजन जरूर पहुंचने लगे। वजह सिर्फ यही थी कि वह अपने बच्चों को अब स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते थे और स्कूल से नाम कटवाने के साथ टीसी लेने पहुंच रहे थे। ऐसे हालात सिर्फ मणिपुर के एक स्कूल में नहीं बल्कि दर्जनों स्कूलों में है, जहां पर हिंसा के बाद बच्चों के नाम कटवाए जा रहे हैं।
मणिपुर के इंफाल में कोरेंगेई स्थित मारिया मांटेसरी स्कूल के जामबुंग कहते हैं कि तकरीबन 2 महीने बाद जब स्कूल खुलने शुरू हुए तो बच्चे ही नहीं पढ़ने आए। करीब 20 से 25 दिन बाद जब स्कूल में बच्चों के घरवालों को संपर्क कर स्कूल भेजने की गुजारिश की तो उनके परिजन बच्चों का नाम कटवाने के लिए स्कूल पहुंचने लगे। उनमें से कई बच्चों के परिजन या तो मणिपुर से निकलकर आसपास के राज्यों में पहुंच गए या कुछ लोग अब उस हालात सुधरने की उम्मीद में बैठे हैं कि सब सामान्य होने पर बच्चों को स्कूल भेजा जाएगा।
यह पूछने पर कि टीसी कटवाने के दौरान घरवालों ने क्या कहा, तो वह कहते हैं कि ज्यादातर लोग मणिपुर के हालातों के बीच में अब यहां नहीं रहना चाहते हैं। अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए और अपनी जान की हिफाजत करते हुए लोग या तो मणिपुर से दूर आसपास के अन्य राज्यों में जा रहे हैं या अन्य मैदानी राज्यों में नया ठिकाना तलाश रहे हैं।