नई दिल्ली / सासाराम – कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब दो अहम वजहों से चर्चा में हैं। पहली, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रही सेना पर विवादित टिप्पणी वाले मानहानि मामले पर तीन हफ्तों की अंतरिम राहत दे दी है। दूसरी, वे 17 अगस्त से ‘वोट अधिकार यात्रा’ की शुरुआत बिहार के सासाराम से करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और स्टे ऑर्डर
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के उस बयान पर नाराजगी जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर भूमि चीन ने कब्जा ली है और हमारे सैनिकों को मारा या पीटा गया है।”
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जी. मसीह की बेंच ने टिप्पणी की –
“अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसे बयान सार्वजनिक रूप से नहीं देने चाहिए।”
राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामला अब तीन हफ्तों तक स्थगित कर दिया गया है, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सावधानी बरतने की नसीहत दी है।
बिहार में चुनावी बिगुल – राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’
इसी बीच, बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। INDIA गठबंधन अब 17 अगस्त से Vote Adhikar Yatra शुरू करने जा रहा है। पहले ये यात्रा 10 अगस्त से शुरू होने वाली थी लेकिन मौसम की खराबी और शिबू सोरेन के निधन के कारण इसकी तारीख टाल दी गई।
इस यात्रा के मुख्य उद्देश्य हैं:
- मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज़ उठाना
- बिहार में भ्रष्टाचार और घोटालों को उजागर करना
- जनता के वोटिंग अधिकारों की रक्षा करना
इस यात्रा में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, और कई बड़े विपक्षी नेता हिस्सा लेंगे। प्रियंका गांधी के भी शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
राजनीतिक तनाव और आने वाले चुनाव
बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राहुल गांधी की ये यात्रा NDA सरकार के लिए सीधी चुनौती मानी जा रही है।
राहुल गांधी का ये कदम ना सिर्फ़ जनसंपर्क बढ़ाने की कोशिश है, बल्कि भाजपा-जदयू गठबंधन के शासन पर प्रत्यक्ष हमला भी है।
एक तरफ सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद राहत मिली, तो दूसरी तरफ राहुल गांधी अब बिहार में अपने राजनीतिक अभियान को नए सिरे से तेज करने जा रहे हैं। ‘वोट अधिकार यात्रा’ के ज़रिए विपक्ष आम लोगों को मतदान के अधिकार और राजनीतिक पारदर्शिता पर केंद्रित करने की कोशिश करेगा।
राजनीति अब कानून और जनसंवाद के मोर्चे पर तेज़ी से बदल रही है – और इसका केंद्र बने हैं राहुल गांधी।