असम के धुबरी ज़िले में भड़की सांप्रदायिक हिंसा ने हालात को बेकाबू कर दिया है। बढ़ते तनाव और उपद्रव को देखते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पुलिस को सीधे तौर पर शूट एट साइट का आदेश दे दिया है।
मुख्यमंत्री ने बयान जारी कर कहा है कि कुछ कट्टरपंथी समूह जानबूझकर हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं। सरकार ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं और प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। अब तक 38 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
धुबरी में सांप्रदायिक तनाव पर shoot-at-sight आदेश, पुलिस को खुली छूट
मुख्यमंत्री हिमंता ने कहा, “जो कोई भी सार्वजनिक संपत्ति या धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो शूट एट साइट भी किया जाएगा।”
सरकार को खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ सक्रिय समूह इलाके में शांति भंग करने की साजिश कर रहे हैं।
इंटरनेट बंद, ड्रोन से निगरानी, सोशल मीडिया पर भी नजर
धुबरी जिले में स्थिति को काबू में रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है ताकि अफवाहें न फैलें। पुलिस ने ड्रोन की मदद से निगरानी शुरू कर दी है और हिंसा फैलाने वालों की पहचान की जा रही है।
सोशल मीडिया पर भी पैनी नजर रखी जा रही है और भड़काऊ पोस्ट डालने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
अब तक की स्थिति:
- अब तक 38 लोग गिरफ्तार
- 4 प्राथमिकी दर्ज
- प्रभावित इलाकों में पुलिस की गश्त
- इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद
- दोनों समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील
मंदिरों को निशाना बनाने की साजिश, सीएम ने जताई सख्त नाराज़गी
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने साफ किया कि यह हिंसा किसी संयोग का हिस्सा नहीं, बल्कि एक पूर्व नियोजित साजिश है। उन्होंने कहा कि मंदिरों को निशाना बनाकर राज्य में धार्मिक सौहार्द को तोड़ने की कोशिश की जा रही है, जिसे सरकार किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देगी।
सरकार का अगला कदम क्या?
राज्य सरकार ने पुलिस को पूरी स्वतंत्रता दी है कि वह जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग करे। सीएम ने साफ कहा कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस की टीमें अब अन्य जिलों में भी चौकसी बढ़ा रही हैं।
धुबरी में फैली सांप्रदायिक हिंसा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि शांति बनाए रखने के लिए कठोर निर्णय लेने की ज़रूरत होती है। मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए शूट एट साइट आदेश राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में एक कड़ा लेकिन आवश्यक कदम माना जा रहा है।
स्थानीय प्रशासन, पुलिस और सुरक्षा बल पूरी तरह से सतर्क हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहों से बचें, कानून का पालन करें और शांति बनाए रखें।