जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि संपर्क प्रगति की कुंजी है, लेकिन इसके लिए सभी सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को ध्यान में रखना चाहिए। गोवा के इस बीच रिसॉर्ट में चीन के विदेश मंत्री छिन कांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव तथा एससीओ के अन्य देशों के उनके समकक्षों ने बैठक की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को पाकिस्तान के अपने समकक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी की मौजूदगी में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद पर करारी चोट की। उन्होंने दो टूक कहा कि ‘टेरर फंडिंग’ (आतंकवाद को वित्त पोषण) हर हाल में रुकनी चाहिए। एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन में जयशंकर ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब दुनिया कोविड-19 महामारी और उसके प्रभावों से निपटने में लगी थी, तब भी आतंकवाद की समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद को बिल्कुल उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस खतरे से मुकाबला करना एससीओ के मूलभूत कार्यक्षेत्र में शामिल है।
बैठक में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर ईरान और बेलारूस का भी उल्लेख किया गया। अंग्रेजी को तीसरी आधिकारिक भाषा बनाने संबंधी बात भी हुई। अभी चीनी और रूसी एससीओ की आधिकारिक भाषाएं हैं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल ने कहा, ‘राजनयिक लाभ के लिए आतंकवाद को हथियार बनाने के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए।’ बिलावल ने कहा, ‘जब मैं इस विषय पर बोलता हूं, तो मैं न केवल पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में बोलता हूं, जिसके लोगों ने सबसे ज्यादा हमलों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है, मैं उस बेटे के रूप में भी बोलता हूं जिसकी मां की हत्या आतंकवादियों द्वारा कर दी गई थी।’ पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 2007 में रावलपिंडी में एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई थी।
बिलावल भुट्टो की मौजूदगी में आतंकवाद पर चोट
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