भारत के प्रसिद्ध खगोलशास्त्रज्ञ और वैज्ञानिक Jayant Narlikar का आज सुबह पुणे में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके परिवार के अनुसार, उन्होंने अपने घर में नींद में ही अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे देश के विज्ञान जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
Jayant Narlikar: विज्ञान और खगोलशास्त्र के चमकते सितारे
Jayant Narlikar का नाम भारत में खगोलशास्त्र और ब्रह्मांड विज्ञान (cosmology) के क्षेत्र में बहुत आदर और सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने ब्रिटिश वैज्ञानिक Sir Fred Hoyle के साथ मिलकर Hoyle–Narlikar theory दी, जो Big Bang theory का एक विकल्प मानी जाती है।
वह IUCAA (Inter-University Centre for Astronomy and Astrophysics) के संस्थापक भी थे, जहां उन्होंने देशभर के छात्रों और शोधकर्ताओं को खगोलशास्त्र की उच्च शिक्षा और रिसर्च का मंच प्रदान किया।
विज्ञान को आम लोगों तक पहुँचाने में Jayant Narlikar की अहम भूमिका
Jayant Narlikar ने विज्ञान को सरल और रोचक भाषा में जनता तक पहुँचाने का हमेशा प्रयास किया। उन्होंने कई पुस्तकें मराठी और अंग्रेजी में लिखीं जो बच्चों, युवाओं और विज्ञान प्रेमियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुईं।
उनकी मराठी आत्मकथा “चार नगरांतले माझे विश्व” को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने विज्ञान को केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रखा, बल्कि लोगों की सोच और समझ का हिस्सा बनाया।
Jayant Narlikar को मिले सम्मान
उनके योगदान के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले:
- Padma Bhushan
- Padma Vibhushan
- Sahitya Akademi Award
- Tyson Medal (Cambridge University)
निजी जीवन
Jayant Narlikar का जन्म 1938 में कोल्हापुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता Vishnu Narlikar जाने-माने गणितज्ञ थे। उनकी पत्नी Dr. Mangala Narlikar भी गणित के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। उनके परिवार में तीन बेटियाँ हैं और सभी शिक्षा व विज्ञान से जुड़ी हुई हैं।
Jayant Narlikar का जाना, भारत की अपूरणीय क्षति
भारत ने एक ऐसा वैज्ञानिक खोया है, जिसने विज्ञान को सिर्फ शोध तक सीमित नहीं रखा बल्कि हर व्यक्ति तक पहुँचाया। Jayant Narlikar का जीवन प्रेरणा है — शोध, शिक्षा और समाज के लिए समर्पण का प्रतीक। आने वाली पीढ़ियाँ उनके कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगी।