पंजाब और जम्मू में Flood की तबाही, खेती और गाँव डूबे
पंजाब और जम्मू के कई जिलों में भयंकर Flood के कारण हालात बिगड़ गए हैं। सरकारी आँकड़ों के अनुसार लगभग 1.25 लाख लोग सीधे प्रभावित हुए हैं और करीब 3 लाख एकड़ खेती पानी में डूब गई है। यह स्थिति सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं रही बल्कि जम्मू और हिमाचल की नदियों से छोड़े गए पानी के कारण और भी गंभीर हो गई है।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
प्रशासन ने कई Relief Camps स्थापित किए हैं, जहाँ लोगों को Food, Water और Medicine उपलब्ध कराई जा रही है। NDRF और BSF की टीमें लगातार Rescue Operation चला रही हैं। फ़िरोज़पुर और फ़ाज़िल्का के गाँव अब भी पानी से घिरे हुए हैं, जहाँ से लोगों को निकालने के लिए JCB और Motor Boats का इस्तेमाल हो रहा है।
किसान और खेती का नुक़सान
Flood की वजह से सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ा है। लगभग 3 लाख एकड़ ज़मीन की खड़ी फ़सल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। किसान मुआवज़े की माँग कर रहे हैं। सरकार ने Special Girdawari करने का आदेश दिया है ताकि प्रभावित किसानों को उचित मुआवज़ा मिल सके।
शिक्षा और रोज़गार पर असर
स्कूल 27 अगस्त से बंद हैं और अब छुट्टियाँ 3 सितंबर तक बढ़ा दी गई हैं। रोज़गार और छोटे कारोबार भी ठप हो गए हैं। टूटी सड़कों और डूबे गाँवों ने आम जनता की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
Black Market और महँगाई
आपदा के बीच काला बाज़ार भी तेज़ हो गया है। Polythene Sheets के दाम 130 से बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गए हैं। Bottled Water की कीमत भी दोगुनी हो गई है। प्रशासन ने अपील की है कि इस आपदा के समय Black Marketing बंद की जाए।
पंजाब और जम्मू के लिए यह Flood केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है बल्कि सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। सरकार ने राहत कार्य तेज़ कर दिए हैं, लेकिन प्रभावित लोगों को और तुरंत मदद की ज़रूरत है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि Climate Change और असामान्य Rainfall Pattern से निपटने के लिए दीर्घकालीन योजना बनानी होगी।