देश की सियासत में एक और बड़ा तूफान तब उठा जब Rahul Gandhi ने लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के महादेवपुरा और कई अन्य सीटों पर हज़ारों वोट चोरी हुए हैं, फर्जी मतदाता सूची में शामिल किए गए और मतगणना प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।
चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “झूठा और भ्रामक” बताते हुए सख्त प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने कहा कि Rahul Gandhi द्वारा प्रस्तुत मतदाता सूची के आंकड़े सही नहीं हैं और इसे लेकर कर्नाटक, हरियाणा और महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने उन्हें नोटिस भेजा है। आयोग ने उन्हें सबूत पेश करने या शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है।
सियासी मोर्चा और विपक्ष का आक्रोश
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सड़कों पर उतरने का ऐलान किया है। INDIA Bloc ने चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकालने का निर्णय लिया है। वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि चुनाव आयोग न्यायालय नहीं है, और Rahul Gandhi के आरोपों की जांच स्वतंत्र एजेंसी से होनी चाहिए।
बीजेपी ने कांग्रेस के इन दावों को केवल “राजनीतिक ड्रामा” बताया है और कहा कि जनता ने निष्पक्ष तरीके से वोट दिया है। लेकिन कांग्रेस का कहना है कि वे प्रमाण चुनाव आयोग के समक्ष पेश करेंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।
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इसी विवाद के बीच Rahul Gandhi ने बिहार के ताराचंडी से ‘हल्ला बोल’ अभियान की शुरुआत की, जिसे एनडीए सरकार के खिलाफ सीधा चुनौती माना जा रहा है। इस रैली में हजारों की भीड़ जुटी और कई बड़े विपक्षी नेता शामिल हुए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आने वाले उपचुनावों और 2025 के लोकसभा चुनाव की तैयारी पर सीधा असर डाल सकता है। जहां एक ओर NDA सरकार स्थिरता और विकास की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस और उसके सहयोगी चुनावी ईमानदारी और पारदर्शिता के मुद्दे को जनता के बीच ले जा रहे हैं।









