सीतापुर – उत्तर प्रदेश के सीतापुर में हुए सनसनीखेज एनकाउंटर ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या के मामले में फरार चल रहे दोनों कुख्यात शूटरों की बुधवार सुबह मुठभेड़ में मौत हो गई। यह Sitapur Encounter SOG और STF की साझा ऑपरेशन का नतीजा है, जिसमें अधिकारियों ने कानवड़ियों का भेष धारण कर गुप्त निगरानी की और आखिरकार अपराधियों को ढेर कर दिया।
SIT और STF की रणनीति – Kanwariya बनकर पकड़े Shooters
सूत्रों के अनुसार, दोनों Shooters Killed in Sitapur – संजय तिवारी उर्फ अकील और उसका भाई राजू तिवारी उर्फ रिज़वान – पिछले पांच महीनों से पुलिस की पकड़ से बाहर थे। पुलिस ने इस दौरान हरिद्वार, लखनऊ, हरदोई और कई जिलों में इनकी तलाश की लेकिन सफलता नहीं मिली।
श्रावण मास की कांवड़ यात्रा में शामिल होकर STF और SOG के जवानों ने गुप्त तरीके से निगरानी शुरू की। मंगलवार रात सुराग मिलने पर टीम ने हर्दोई से पिसावां की ओर बढ़ रहे बाइक सवार दोनों अपराधियों को सीतापुर के करीब घेर लिया। सुबह करीब 4:30 बजे जैसे ही पुलिस ने उन्हें रोका, शूटरों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में दोनों एनकाउंटर में ढेर हो गए।
मामले से जुड़े प्रमुख तथ्य (Main Facts):
- पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या 8 मार्च 2025 को हुई थी।
- मुख्य आरोपी संजय और राजू तिवारी पर एक-एक लाख का इनाम था।
- दोनों के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड भी सामने आए हैं – एक पर सब-इंस्पेक्टर की हत्या का भी केस था।
- Sitapur Encounter के बाद शवों को जिला अस्पताल लाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
अजीब संयोग – बार-बार सामने आया “8” का आंकड़ा
इस मामले से जुड़े कई सांकेतिक संयोग भी सामने आए हैं:
- हत्या 8 तारीख को हुई।
- चार-चार गोलियां दोनों अपराधियों और पत्रकार को लगीं।
- पत्रकार की बाइक की नंबर प्लेट थी 8005।
- अंतिम संस्कार हुआ 8 अगस्त को।
इसलिए सोशल मीडिया पर लोग इस मुठभेड़ को “आठ का न्याय” कहकर पोस्ट कर रहे हैं।
पुलिस टीम को मिला सम्मान
सीतापुर के एसपी अंकुर अग्रवाल ने इस Sitapur Encounter में शामिल टीम को ₹1 लाख के इनाम की घोषणा की है।
- ₹50,000 ADG लखनऊ जोन से
- ₹25,000 IG रेंज से
- ₹25,000 स्वयं SP की ओर से
यह ऑपरेशन उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जिससे न केवल पत्रकार की हत्या का बदला पूरा हुआ बल्कि दो खतरनाक अपराधियों का अंत भी हुआ।