भारतीय क्रिकेट में एक नया सितारा उभर चुका है — Vaibhav Suryavanshi, मात्र 14 साल की उम्र में IPL में सबसे तेज शतक जड़ने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन चुके हैं। राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए उन्होंने गुजरात टाइटन्स के खिलाफ महज़ 35 गेंदों में शतक ठोक कर न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ा, बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा।
लेकिन यह कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं है, यह कहानी है जुनून, संघर्ष और परिवार के बलिदान की।

संघर्ष से सफलता तक का सफर: Vaibhav Suryavanshi की असली ताकत
Vaibhav Suryavanshi के क्रिकेटिंग सफर की शुरुआत आसान नहीं थी। उनके पिता ने बेटे की कोचिंग और ट्रेनिंग में पूरा सहयोग देने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुज़र रहा था, लेकिन फिर भी उन्होंने बेटे के सपनों में कभी रुकावट नहीं आने दी। उनकी मां रोज़ाना केवल 3 घंटे की नींद लेकर बेटे की डाइट, प्रैक्टिस और सफर का ध्यान रखती थीं। यहां तक कि बड़े भाई ने पढ़ाई और नौकरी के बीच जिम्मेदारियों को संभालकर घर को चलाया।
यह त्याग और मेहनत ही है जो आज Vaibhav को वहां तक ले गई जहां हर क्रिकेटर पहुंचना चाहता है — IPL के मंच पर इतिहास रचना।
14 साल की उम्र में बना इतिहास
28 अप्रैल 2025 को जब वह मैदान पर उतरे, किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इतिहास रचने वाला है। उन्होंने 11 छक्कों और 7 चौकों की मदद से 100 रन ठोक दिए, वो भी केवल 35 गेंदों में। इससे पहले किसी भी भारतीय खिलाड़ी ने IPL में इतनी तेज़ी से शतक नहीं लगाया था।
उनकी यह पारी न सिर्फ राजस्थान रॉयल्स के लिए यादगार रही, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गई।

Vaibhav Suryavanshi की कहानी सिर्फ एक क्रिकेट रिकॉर्ड की नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों के लिए प्रेरणा है जो अपने बच्चों के सपनों को सच करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। संघर्ष, बलिदान और विश्वास — यही तीन शब्द हैं जो इस नाम को अगले दशक का चमकता सितारा बनाएंगे।