वित्त वर्ष 2022-23 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की अदायगी से बचने की कोशिश को कर अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर नाकाम किया और 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी का पता लगाया है। जीएसटी आसूचना महानिदेशालय के अधिकारियों ने पिछले वित्त वर्ष में कर चोरी करने वालों से 21,000 करोड़ रुपये की वसूली भी की। अधिकारी ने कहा कि सरकार कर अनुपालन बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है।
वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने बताया था कि जुलाई, 2017 से फरवरी, 2023 के बीच 3.08 लाख करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी गई थी। इसमें से 1.03 लाख करोड़ की वसूली की गई। इस दौरान 1,402 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
2022-23 में कर चोरी के 14,000 मामले दर्ज किए गए। 2021-22 में 12,574 और 2020-21 में 12,596 मामले दर्ज किए गए थे। कारोबारियों ने कार्यप्रणाली में कर योग्य वस्तुओं और सेवाओं का मूल्यांकन घटाकर कम कर के भुगतान की रणनीति अपनाई थी।
एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि 2022-23 में 1,01,300 करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया गया है, जो पिछले साल की तुलना में करीब दोगुना है। जीएसटी चुकाने से बचने की कोशिश को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) के अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर नाकाम किया। सरकार की ओर से अनुपालन बढ़ाने के प्रयासों के साथ आंकड़ों के विश्लेषण और अधिकारियों की तत्परता से कारोबारियों से अच्छी वसूली की गई।
तमाम प्रयासों के बावजूद जीएसटी चोरी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हाल ही में समाप्त वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी चोरी करीब दोगुना होकर 1.01 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। इस दौरान कर चोरी करने वाले कारोबारियों से सिर्फ 21,000 करोड़ रुपये की ही वसूली की गई। 2021-22 में कर अधिकारियों ने 54,000 करोड़ की जीएसटी चोरी का पता लगाया था और 21,000 करोड़ रुपये की वसूली की थी।