बारिश का पानी पौधों के लिए लाभदायक है, लेकिन अधिकता होने पर वह जमा हो जाता है, जिससे पौधों की जड़ों में सड़न पैदा हो जाती है और वे मर जाते हैं। कई बार हम गमले की ऊपरी मिट्टी को देखकर यह अनुमान लगाते हैं कि गमले में पर्याप्त पानी है या नहीं, लेकिन पानी की सही मात्रा का ज्ञान न होने के कारण उसकी अधिकता या कमी से पौधे को नुकसान पहुंचता है। इस समस्या से बचने के लिए पौधों में पर्याप्त नमी जरूरी है, तो बरसात में जलभराव को रोकने के लिए जल निकास पर ध्यान देना भी आवश्यक है।
पौधों को हरा-भरा रखने के लिए उन्हें समय पर पानी देना बहुत जरूरी है। बरसात के दिनों में पौधों को पानी देने से पहले गमले की मिट्टी को उंगली से छूकर नमी को देख लें। अगर मिट्टी गीली है तो गमले में पानी न डालें और यदि मिट्टी सूखी है तो पौधे में पानी दे दें। बेहतर होगा, सुबह के समय पौधों में पानी डालें। अपने बगीचे के पौधों को पानी देने से पहले यह देखें कि आपके इलाके में कितनी बारिश हुई है। आजकल एक जगह बारिश होती है और कुछ ही दूरी पर एक बूंद नहीं गिरती। इसलिए अपने क्षेत्र की बारिश को देखते हुए पौधों को पानी दें।
कृषि एवं बागवानी विशेषज्ञ डॉ. कुलदीप कुमार विश्नोई कहते हैं, प्रत्येक पौधे की अपनी एक जल मांग होती है। जिन पौधों में फूल और फल आते हैं, उनकी जल मांग अधिक होती है। जिनको हम गमलों में उगाते हैं, उन में अधिक पानी से कई बीमारियां हो जाती हैं और पौधे सूख जाते हैं। किसी गमले में आप एक के स्थान पर दो या तीन पौधे लगा देती हैं तो उनकी जल मांग ज्यादा होने से उनका मुरझाना, पत्तियों का लिपटना, गोल-गोल घूम कर अलग संरचना बनाना आदि लक्षण पानी की कमी के होते हैं। यदि पानी की अधिकता है तो गमलों से अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना जरूरी है।