कंप्यूटर टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा (45) के प्रदेशाध्यक्ष बलराम धीमान ने कहा कि नियुक्ति देने वाली कंपनियां जनवरी, फरवरी व मार्च 2014 का वेतन जोकि 10 करोड़ से अधिक बनता है और सभी टीचर्स से सिक्योरिटी के नाम पर लिए गए 24-24 हजार रुपए के हिसाब से 2800 शिक्षकों से लिए गए 6 करोड़ 72 लाख रुपए डकार गई हैं, जिसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि 16 फरवरी 2015 को एसीएस टीसी गुप्ता द्वारा जारी किए गए आर्बिट्रेशन अवार्ड की आज तक पालना नहीं हुई है। प्रदेशाध्यक्ष ने गर्मी व सर्दी की छुट्टियों का वेतन दिए जाने, बकाया वेतन जारी करवाने व वेतन बढ़ाने की सरकार से मांग की है। उन्होंने अंदेशा जताते हुए आरोप लगाया है कि तीनों कंपनियां सिक्योरिटी राशि वापस लेने के लिए अंदरखाते सेटिंग करने में लगी हुई हैं।
लेकिन, उसके बाद भी उक्त कर्मचारियों को जनवरी, फरवरी व मार्च 2014 का वेतन नहीं दिया गया, जोकि 36 हजार रुपए प्रत्येक शिक्षक के हिसाब से 2800 शिक्षकों का तीन महीने का लगभग 10 करोड़ से अधिक हो जाता है, नहीं दिया गया।
इसी प्रकार से 24 हजार रुपए प्रति शिक्षक के हिसाब से 2800 शिक्षकों से सिक्योरिटी के नाम पर ली गई रकम भी लगभग 6 करोड़ 72 लाख रुपए वसूली गई। जिसके लिए आज तक पीड़ित शिक्षक धक्के खाने को मजबूर हैं। यह भी जानकारी मिली है कि अब इन शिक्षकों की संख्या 2000 ही रह गई है। इतना ही नहीं, उक्त शिक्षकों को गर्मी व सर्दी की छुट्टियों का वेतन भी नहीं दिया जाता है और न ही कोरोना जिस पर शिक्षा विभाग के तत्कालीन एसीएस टीसी गुप्ता ने संबंधित कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए 16 फरवरी 2015 में एर्बिट्रेशन अवार्ड जारी कर दिया, जिसके तहत तीनों ही कंपनियों का तुरंत प्रभाव से अनुबंध समाप्त कर दिया और कंपनियों की सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली गई, जोकि लगभग 9 से 10 करोड़ बताई गई है। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग को कहा कि 30 दिन के अंदर-अंदर कंप्यूटर शिक्षकों का वेतन और सिक्योरिटी की राशि लौटा दी जाए। इतना ही नहीं, शुरुआती लगभग 6-7 महीनों तक तो उक्त कंपनियों ने कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया, जो 12 हजार रुपए प्रति माह प्रति शिक्षक तय किया गया था, जिसके लिए पीड़ित शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी और वेतन जारी करवाने की मांग उठाई व ली गई सिक्योरिटी के बारे में भी अधिकारियों को बताया जानकारी के अनुसार ट्रांसलाइन टेक्नोलॉजिक्स प्राइवेट एलटीडी, श्रीराम न्यू होरीजंस एलटीडी न्यू दिल्ली व भूपेन्द्रा सोसायटी चंडीगढ़ के द्वारा 2013 में 2800 कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती की गई थी और चुने गए सभी शिक्षकों से कंपनियों द्वारा सिक्योरिटी के नाम पर 24-24 हजार रुपए प्रत्येक शिक्षक के हिसाब से 6 करोड़ 72 लाख रुपए वसूले गए। प्रदेश के राजकीय स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए लगाए गए 2800 शिक्षकों का तीन माह का वेतन जोकि करीब 10 करोड़ से अधिक है और सिक्योरिटी के नाम पर लिए गए 6 करोड़ 72 लाख रुपए भर्ती करने वाली तीन कंपनियां डकार गईं। ये कंपनियां कंप्यूटर शिक्षकों का अनुबंध समाप्त होने के बाद अपनी राह लगी, लेकिन पीड़ित शिक्षक 9 वर्षों बाद भी अपने पैसों के लिए धक्के खाने को मजबूर हैं। पीड़ित शिक्षकों से मिली जानकारी के अनुसार 2013 में प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए 2800 शिक्षकों की भर्ती की थी, जिसकी परीक्षा सरकारी नियोक्ता एजेंसी सी-डीएसी द्वारा ली गई थी और शिक्षा विभाग की 10 सदस्यीय कमेटी द्वारा मेरिट लिस्ट के आधार पर उनका चयन किया गया था। उस समय इन शिक्षकों को वेतन 12 हजार रुपए प्रति माह निर्धारित किया गया था।