लोकसभा चुनाव के पहले कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई से सियासी गलियारे में हलचल तेज हो गई है। कद्दावर नेता के रूप में पहचान रखने वाले अमरमणि त्रिपाठी के करीब 18 साल बाद जेल से बाहर आने पर पूर्वांचल के राजनीतिक समीकरण को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
पूर्व मंत्री पंडित हरिशंकर तिवारी के निधन के बाद पूर्वांचल के सियासी हल्के में ब्राह्मण चेहरे की कमी खल रही थी। ऐसे में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का जेल से बाहर आना यहां की राजनीति में टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। वैसे भी हरिशंकर तिवारी को गुरु मानकर ही कभी अमरमणि ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा था।
अक्तूबर 2007 में अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके बाद वह चुनाव नहीं लड़ सके, लेकिन अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अमनमणि को सौंप दी। अगर वह सीधे तौर पर आते हैं तो आत्मघाती कदम होने का भी खतरा रहेगा। लिहाजा अमरमणि के एक-एक कदम पर सभी राजनीतिक दलों की नजर होगी।